सुनी है न तुमने
साँप और नेवले
वाली कहानी ,
गलतफहमियों का
अंत हमेशा
अफसोस पर
आकर खत्म होता है
और अफसोस का
कभी अंत नही होता
लाख सर पटका उसने
नेवला मर चुका था ,
मरे हुए रिश्ते
अफसोस
से जी न उठेंगे ,
जिंदा रहेगा
झूठा अहंकार ,
टूटा स्वाभिमान ,
खोखला वजूद
और न भर सकने
वाला खालीपन ....
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