अहम का बिरवा
फूला फला है खूब ,
अब तो फूल भी आ
गए है नफरतों के ,
और पत्तियां
बिलकुल काली
कलुषित हृदय जैसी .
तन गया है बिरवा
आँधियां तोड़ न दे ,
थोड़ी लचक सीख लो
वर्ना जड़ से उखड़ने मे
वक्त नहीं लगता है .
सुना है
वक्त सबका बदलता है...