बुधवार, 20 मार्च 2013

बस तुमसे है....


क्या उपमेय
क्या उपमान
नहीं जानती मैं
कैसे आता है 
कविता में सौन्दर्य
नहीं जानती मैं .
अलंकारो से 
अपरिचित
मेरे शब्द बस
तुम्हारे प्रेम 
से अलंकृत है...
मेरे शब्दों का सौन्दर्य
बस तुमसे है..
राग ,नेह ,दर्द
बस तुमसे है....

तुम क्यो याद आते हो ....


तुमने तो कभी 
जीव विज्ञान
नहीं पढ़ा और
काले जादू 
से भी तो
डरते थे तुम 
फिर कैसे 
काट ले गए 
तुम मेरे कलेजे 
का एक टुकड़ा .
आज भी दर्द से
कराहता है
मेरा कलेजा
जब भी याद
आते हो तुम,
तुम क्यो
याद आते हो ....