बुधवार, 14 अक्तूबर 2015

गुण ...

तुम्हारी नजर मे भले ही गुण हो
चाँद का शीतल होना
पर छटपटाता है वो
दग्धता के लिए ..
सूर्य होना चाहता है शीतल
और पृथ्वी बरसाना चाहती है जल
आकाश ढूढ़ रहा है उर्वरता को
कि उसमें लहलहाएं फसलें
पक्षी तैरने को छटपटा रहे हैं
जलचर पाना चाहते हैं नभ
हाँ कतई जरूरी नहीं
कि जिसका गुण
प्रभावित करे तुम्हें
वह खुद से खुश हो ..
अक्सर गुण बन जाते है
सबसे बड़ा अवगुण ..
यहां सब उलट है
ये दुनिया अपने होने से
कब खुश थी
कब खुश है
कब खुश होगी ...