कुछ भाव जो व्यक्त नहीं कर पाई, कुछ दर्द जो बाँट नहीं पाई,अब लेखनी से वो सारे पल जीना चाहती हूँ,जो इस जीवन की भागदौड में कहीं बहुत पीछे रह गए किन्तु टीसते रहे.......
बुधवार, 20 मार्च 2013
तुम क्यो याद आते हो ....
तुमने तो कभी जीव विज्ञान नहीं पढ़ा और काले जादू से भी तो डरते थे तुम फिर कैसे काट ले गए तुम मेरे कलेजे का एक टुकड़ा . आज भी दर्द से कराहता है मेरा कलेजा जब भी याद आते हो तुम, तुम क्यो याद आते हो ....
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