कुछ भाव जो व्यक्त नहीं कर पाई, कुछ दर्द जो बाँट नहीं पाई,अब लेखनी से वो सारे पल जीना चाहती हूँ,जो इस जीवन की भागदौड में कहीं बहुत पीछे रह गए किन्तु टीसते रहे.......
शुक्रवार, 23 अगस्त 2013
हाँ लालची हूं मैं ..
हाँ समझ गई हूँ मै
कहा भी और अनकहा भी
कह भी कहाँ पाते हो तुम
कहने से पहले ही सुन लेती हूँ ,
एहसास की दौलतो का
खजाना समेटे बैठी हूँ,
जो जज्बातो के तोहफे
दिए हैं तुमने ,
और पाना चाहती हूं
हाँ , ये बात मानती हूं
कि लालची हूँ मैं...
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